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भोजपुरी सिनेमा के सभी खलनायकों की सूची यहां दी गई है, कई फिल्म उद्योगों की तरह, भोजपुरी में भी बहुत सारे खलनायक हैं, लेकिन अगर हम इस में से...

List of Bhojpuri Cinema Villains with Name & Photo, यहां म‍िल‍िए भोजपुरी के कुछ बेहतरीन खलनायकों से

भोजपुरी सिनेमा के सभी खलनायकों की सूची यहां दी गई है, कई फिल्म उद्योगों की तरह, भोजपुरी में भी बहुत सारे खलनायक हैं, लेकिन अगर हम इस में से सबसे अच्छे खलनायक का नाम लेते हैं, तो इस सब में सबसे पहले नाम आता है, अवधेश मिश्रा, संजय पांडे और शुशील सिंह। भोजपुरी फिल्म उद्योग के खलनायक शानदार अभिनेता हैं, अपने करियर में वे भोजपुरी सिनेमा के अन्य कलाकारों और अभिनेत्री की तरह बहुत लोकप्रिय हैं।

हम इस लिस्ट में सभी पुरानी और नई भोजपुरी फिल्मों के खलनायक नाम शामिल किये हैं।


भोजपुरी स‍िनेमा बहुत तेजी से दर्शकों के बीच लोकप्र‍िय हो रहा है। भोजपुरी में न केवल स‍ितारों बल्‍कि खलनायकों को भी खूब पसंद क‍िया जाता है। यहां म‍िल‍िए भोजपुरी के कुछ बेहतरीन खलनायकों से।

भोजपुरी फिल्मों में विलेन की महत्ता इक्कीसवीं सदी के शुरू में काफी थी या आज के दौर में काफी है, इस बात पर खलनायक की भूमिका निभाने वाले अलग-अलग कलाकारों में मतभेद है। कुछ का मानना है कि नए दौर के शुरुआती वर्षों में विलेन को महत्त्व दिया जाता था कहानियों में भी और आम-जीवन में भी। एक जाने-माने खलनायक का कहना है कि विलेन का महत्त्व फिल्मों में बढ़ना चाहिए क्योंकि राम तभी महाबलशाली कहलाये क्योंकि उनके सामने रावण जैसा पराक्रमी खलनायक था। ब्लैकबोर्ड जितना काला होगा, उसपर खड़िया माने चौक से लिखा हर्फ़ उतना ही नुमायां होगा। यह बात सही भी है।

Awadhesh Mishra
भोजपुरी सिनेमा के मशहूर एक्टर अवधेश मिश्रा आये दिन नई फिल्मों में अलग-अलग किरदार में नजर आ रहे हैं. अवधेश को भोजपुरी इंडस्ट्री में महा खलनायक के नाम से जाना जाता है, क्योंकि अवधेश भोजपुरी की हर फिल्मों में केवल खलनायक की भूमिका में दर्शकों का मनोरंजन करते नजर आते हैं. अवधेश से बातचीत के दौरान पता चला कि अब अवधेश केवल खलनायक के ही किरदार नहीं बल्कि सकारात्मक (पॉजिटिव) किरदार करना भी शुरू कर दिया है. अवधेश की पहली पॉजिटिव किरदार वाली फिल्म 'मेहंदी लगा के रखना' में अवधेश मिश्रा ने भोजपुरी सुपरस्टार खेसारीलाल यादव के पिता का किरदार निभाया और फिल्म सुपरहिट भी हुई.

अवधेश मिश्रा ने वर्ष 2005 में ‘दूल्‍हा अइसन चाहीं’ से अपने भोजपुरी करियर की शुरुआत की, जिसमें वह पहली बार बतौर विलेन नजर आये. अवधेश से पूर्व सुशील सिंह भोजुपरी इंडस्‍ट्री में विलेन के रूप में ख्‍याति प्राप्‍त कर चुके थे. लगभग हर फिल्‍म में सुशील सिंह ही विलेन के रूप में नजर आते थे, क्‍योंकि तब इंडस्‍ट्री के पास कोई ढंग का विकल्‍प नहीं था. ऐसे ही समय में अवधेश मिश्रा आये और अपने अभिनय और डायलॉग डिलीवरी से दर्शकों के दिलो-दिमाग पर छा गये. इससे पूर्व निर्माता-निर्देशक विलेन को दोयम दर्जे का कलाकार समझकर उनकी कद्र नहीं करते थे. मगर अवधेश ने इस परंपरा को बदल डाला और विलेन के अस्तित्‍व को मुकम्‍मल पहचान और रुतबा दिलाया.

आज भी अवधेश मिश्रा की धमक विलेन के रूप में इंडस्‍ट्री में बरकरार है. ये ऐसे अभिनेता हैं, जो अपने बल पर फिल्‍में हिट करा सकते हैं और कई बार फिल्‍में इनकी वजह से चली भी हैं. इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब भी दूसरी किसी भी इंडस्‍ट्री में बिहारी विलेन की डिमांड होती है, तो लोग सबसे पहले अवधेश मिश्रा को ही साइन करते हैं. ये उनके लिए एकमात्र विकल्‍प के रूप में उभरे हैं.

Sanjay Pandey
संजय पाण्डेय आजमगढ़ के कम्हरिया गांव से हैं। उन्होंने शुरुआती दिनों में थिएटर किया और फिर फिल्मों में आ गए। उनकी पहली फिल्म 'कहिया डोली लेके अइबा' 2001 में आई थी। जिसके डायरेक्टर राजकुमार आर पाण्डेय थे। यह दोनों की डेब्यू फिल्म थी। संजय कहते हैं कि हमारा सिनेमा और कहानी दोनों ही पीछे चल रही है तो उसके किरदार और खलनायक कैसे आगे रह सकते हैं। भोजपुरी फिल्में अपने ठाकुर, दबंग नेता और हीरोइन के भाई वाले विलेन चरित्रों से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई हैं। मुझे शिकायत लेखकों से भी है कि वे अपनी कहानियों में चरित्रों का निर्माण तो करते ही नहीं है, केवल चरित्रों के नाम दे देते हैं और फिल्म में उनका काम दे देते हैं।

उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा अपने किरदारों में कोशिश की है कि वे एक-दूसरे के रिपीट न लगें और किसी हिंदी या दूसरी भाषा की फिल्मों के किरदार से प्रेरित ना हों। निरहुआ हिन्दुस्तानी 2 में मेरा रोल काफी पसंद किया गया। उसमें मैंने एक कॉमिक और जलने वाले चाचा का रोल किया था, जो हमेशा अपने बड़े भाई का घर तबाह करना चाहता है। रानी चली ससुराल में मेरा रिटायर्ड पहलवान का रोल काफी सुन्दर बन पड़ा है, जिसका चेला लड़की के चक्कर में बर्बाद हो जाता है। सपूत फिल्म में भी मेरा अच्छा किरदार है। दिलदार सावरिया में मेरा विजय सिंह का रोल काफी अच्छा है और इसमें मैंने अंडरप्ले किया था। लोग मुझे लाउड एक्टर समझने लगे थे। इस फिल्म में मैंने वो छवि तोड़ी।

Manoj Tiger
मनोज टाइगर को लोग एक हरदिल अजीज कॉमेडियन के रूप में जानते हैं, लेकिन उन्होंने ग्रे शेड और मुख्य खलनायक के रोल भी काफी किये हैं। जिगर और मोकामा 0 किमी उनकी नेगेटिव शेड में अच्छी प्रदर्शन वाली फिल्में हैं। मनोज ने थिएटर की शुरुआत 1996 में की थी और वह मशहूर पृथ्वी थिएटर ग्रुप से जुड़े रहे।

बातचीत में मनोज टाइगर ने बताया कि मुझे हिंदी फिल्म अभिनेत्री आयशा जुल्का ने काफी मदद की। 2005 में उन्हें मनोज ओझा ने चलत मुसाफिर मोह लियो रे में कॉमेडियन का रोल दिया और फिर उसके बाद उन्हें निरहुआ रिक्शावाला में भी कॉमेडी रोल मिला। उनका इस फिल्म का किरदार बताशा चाचा अमर हो गया। आज भी वह भोजपुरी क्षेत्रों में अपने नाम से कम बताशा चाचा के नाम से ज्यादा जाने जाते हैं। उन्होंने अब तक 200 से ज्यादा फिल्में कर लीं हैं।

वे अपने आपको भाग्यशाली समझते हैं कि एक कॉमेडियन की छवि पा लेने के बाद भी वह विलेन के रोल में काफी सराहे गए और पब्लिक ने उन्हें खूब पसंद किया। उनकी नेगेटिव शेड वाली फिल्मों में बलमुआ तोहरे खातिर, डकैत, राम लखन और वीर बलवान आदि हैं। वह अब भी दमदार खलनायक वाले रोल मना नहीं कर पाते हैं। उनके पास दोनों तरह के रोल कभी कॉमेडियन के और कभी विलेन के ऑफर होते हैं। मनोज के हिसाब से अब भोजपुरी सिनेमा अपने खलनायकों और चरित्र अभिनेताओं की महत्ता समझने लगा है जो अच्छा संकेत है।

Sudesh Kaul

भोजपुरी पर्दे पर जलवे बिखेर रहे नये खलनायक है सुदेश कौल। अभय सिन्हा की फिल्म ’हम बाहुबली’ से दर्शकों के बीच लोकप्रिय हुए सुदेश कौल अब तक ‘धरमवीर’, ’धर्मात्मा’, ’खटाईलाल मिठाईलाल’, ’सात सहेलियां’,’परिवार’, ’आज के करन-अर्जुन’, ‘‘जंग’’, ’विदेसिया’ सहित कई हिन्दी व बांग्ला फिल्मों में अपनी अभिनय कौशल का परिचय दे चुके हैं। सुदेश कौल इन दिनों हिन्दी फिल्में ’बीहड़’ व ’ले गया सद्दाम’ को लेकर व्यस्त हैं। सुदेश कौल पवन सिंह अभिनीत ‘लावारिस’ में भी अपनी खलनायकी दिखाते नजर आयेंगे। सुदेश ने बांग्ला फिल्मों में मिथुन चक्रवर्ती, प्रसन्नजीत, रितुपूर्णा सेनगुप्ता जैसे दिग्गजों के साथ काम किया है। सुदेश कौल बांग्ला, भोजपुरी व हिन्दी फिल्मों में अपनी मुक्कमल पहचान बनाना चाहते हैं।

The latest villain to shine on Bhojpuri screen is Sudesh Kaul. Starting his innings with ���������Hum Bahubali��������� by Abhay Sinha, Sudesh became popular amongst viewers and thereafter acted in Bhojpuri films like 'Dharamveer', 'Dharmatma', 'Khatailal Mithailal', 'Saat Saheliyan', 'Parivaar', 'Aaj Ke Karan Arjun', 'Jung', 'Bidesia' etc. in addition to several Hindi and 'Bangla movies'.++

These days Sudesh is busy with his Hindi films 'Beehad' and 'Le Gaya Saddam' and Bhojpuri film ���������Lawaris��������� starring Pawan Singh. Sudesh has worked with stars like Mithun Chakravarty, Prasannajit, and Rituparna Sengupta in Bangla movies and want to establish himself in Bhojpuri, Bangla and Hindi films.

Sushil Singh
जब भोजपुरी सिनेमा अपना नया सवेरा देख रहा था तब 2003 में एक फिल्म आई कन्यादान। फिल्म में मुख्य किरदार में 90 के दशक के हीरो कुणाल और भोजपुरी में अपना करियर लगभग शुरू कर रहे रविकिशन थे। फिल्म में एक खलनायक भी इंट्रोड्यूस हुआ जो बाद में भोजपुरी फिल्मों का बड़ा नाम साबित हुआ। उस फिल्म में रविकिशन के लालची भाई का रोल वाराणसी के सुशील सिंह ने किया था। सुशील वाराणसी में पैदा हुए और उन्होंने वहीं उदय प्रताप सिंह कॉलेज से बीएससी में डिग्री ली और साथ ही थिएटर भी किया। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में अपनी किस्मत आजमानी शुरू की। कन्यादान उनका पहला ब्रेक था और फिर उसके बाद अबतक उन्होंने विलेन के काफी दमदार और यादगार किरदार निभाए हैं।

इस फिल्म में मनोज तिवारी भी थे हालांकि उनकी केवल गेस्ट अपीयरेंस थी। सुशील ने अगली फिल्म हो गईल बा प्यार ओढनिया वाली की जो निरहुआ के करियर की बड़ी फिल्म थी। उसके बाद आई फिल्म निरहुआ रिक्शावाला जिसने कई कलाकारों को भोजपुरी सिनेमा और लोगों के दिलों में स्थापित किया। दिनेशलाल यादव भी इसी फिल्म के बाद निरहुआ बने। सुशील सिंह भी इसी फिल्म से घर-घर में पहचाने जाने लगे। फिल्म कई सिनेमाघरों में एक साल तक चली। उनका किरदार एक अड़ियल विधायक भाई का था जो अपनी बहन की शादी एक रिक्शेवाले से नहीं करना चाहता। यहां भी वही हिंदी फिल्मों का फॉर्मूला काम आया जिसमें एक गरीब आदमी लोगों का मसीहा बनता है और सिस्टम एवं दबंग लोगों से लड़ लोगों को उनका हक दिलाता है।

यह सुशील सिंह थे जिनकी वीभत्स छवि ने निरहुआ के हिरोइज्म को निखरने दिया। सुशील सिंह ने अपनी अगली फिल्म श्रीमान ड्राईवर बाबू में एक बहरे और मजाकिया बस ट्रांसपोर्ट के मालिक का रोल किया जो समय पड़ने पर अपना कमीना रूप दिखाता है। यह किरदार भी बेहतरीन है। मुन्ना बजरंगी में एक सकारात्मक चरित्र निभाने के बाद सुशील सिंह को अच्छे रोल ऑफर नहीं हो रहे थे। सुशील सिंह ने बताया कि भोजपुरी के विलन स्टीरियोटाइप होने लगे थे और एक जैसे किरदार ही मुझे ऑफर हो रहे थे, पैसे भी कुछ खास नहीं मिल रहे थे इसलिए उन्होंने टीवी सीरियल की तरफ रुख किया और लगभग चार सालों तक कलर्स का शो भाग्य-विधाता किया।

Satya Prakash

Ashok Samarth
Bollywood actor Ashok Samarth will be seen in Khesari Lal Yadav’s much-awaited Bhojpuri film ‘Balam Ji I Love You’. The movie is slated to release in this year on the occasion of Durga Puja. The film was directed by Premanshu Singh and produced by Seema Devi Rungta.

‘Balam Ji I Love You’ stars Khesari and Kajal Raghwani in a lead role including Ashok Samarth, Kiran Yadav, Sanjay Mahanand, Gajendra Raj, Santosh Pehlwan, Salil Sudhakar and Sunil Dutt Pandey. The shooting of the film has been taking place in some regions of Gorakhpur.


Ayaz Khan
इक्कीसवीं सदी के एंटी-हीरो स्क्वाड में एक और नाम जो काफी मशहूर है और उम्दा कलाकार भी, वह है अयाज़ खान का। अयाज़ ने अपनी शुरुआत 2006 में अजय देवगन की एकमात्र भोजपुरी फिल्म ‘धरती कहे पुकार के’ से की थी। इस फिल्म में अजय के साथ मनोज तिवारी भी मुख्य भूमिका में थे और अयाज़ ने नेता वीर महोबिया के बेटे का रोल किया था। अयाज़ ने अपनी पहली फिल्म से ही अपने अभिनय का दमख़म दिखाया था। इस फिल्म के बाद वह वाराणसी अपने शहर अपनी पढाई में व्यस्त हो गए फिर करीब एक साल बाद वह मुंबई वापस फिल्मों में अपनी किस्मत आज़माने आये। यहां उन्हें फिल्म-राइटर संतोष मिश्र ने सहारा दिया और अयाज़ की दूसरी फिल्म निरहुआ रिक्शावाला थी जिसने अपनी सफलता के कारण कई कलाकारों को इंडस्ट्री में स्थापित किया जिसमें अयाज़ भी थे। 

बातचीत में अयाज़ ने बताया कि अब तक उन्होंने 100 फिल्मों में काम कर लिया है और उनकी कुछ बेहतरीन फिल्मों में पवन सिंह के साथ फिल्म धड़कन है। उन्होंने पवन के भाई और पुलिस अफसर का रोल किया है जो क्लाइमेक्स आते-आते गुड-बॉय से बैड-बॉय बन जाता है, लोगों को अयाज़ का यह चेंजओवर पसंद आया। उनका खेसारीलाल के साथ मुक़द्दर में एक मच्योर किरदार जो उम्र में बड़ा है करना काफी चुनौतीपूर्ण था और फिल्म बनने से पहले तक लेखक और डायरेक्टर को यह भरोसा नहीं था कि मैं यह रोल कर पाउंगा।  रितेश पाण्डेय के साथ सैयां थानेदार फिल्म में उनका किरदार जो भयानक और विचित्र हंसी हंसता है दर्शकों को काफी पसंद आया।  कसम वर्दी वाला में पागल का रोल और इंडिया वर्सेस पाकिस्तान में पाकिस्तानी मेजर का रोल उनकी लाइफ के माइलस्टोन रोल हैं। उनका पाकिस्तानी मेजर का वेश-भूषा और संवाद-शैली अपनाना इतना नैसर्गिक था कि लोगों को भ्रम हुआ कि वह असल में पाकिस्तानी हैं।

Anoop Arora
खलनायकों की लिस्ट में अगला नाम अनूप अरोड़ा का है. हालांकि अनूप अरोड़ा इन सभी कलाकारों से सीनियर हैं। उन्होंने वाराणसी से थिएटर करना शुरू किया और फिर उन्हें नाना पाटेकर की हिंदी फिल्म 'आंच' में अच्छा रोल मिला। 1997 से वह भोजपुरी में काम करने लगे। उन्होंने तब पटना दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले भोजपुरी के प्रथम सीरियल सांची पिरितिया में मुख्य किरदार किया। अनूप ने लगातार भोजपुरी फिल्मों में खूब काम किया है। उनके किरदारों में अधिकता हीरो-हीरोइन के पिता की रही है, लेकिन जब-जब उन्होंने ग्रे शेड के किरदार किये हैं वे लाजवाब रहे हैं।

वे 2003 में आई फिल्म कन्यादान में भी थे। उन्होंने साजन चले ससुराल, साजन चले ससुराल 2, प्यार झुकता नहीं, निरहुआ चलल ससुराल में खलनायक के किरदार निभाए। साजन चले ससुराल खेसारीलाल की पहली फिल्म थी और इस फिल्म में अनूप ने हीरोइन के अड़ियल और खलनायक पिता का रोल किया। उन्होंने इस फिल्म के सीक्वल में भी वैसा ही चरित्र निभाया। निरहुआ चलल ससुराल में उनका तिवारी का करेक्टर खासा लोकप्रिय हुआ। इंसाफ फिल्म में उन्होंने एक ढोंगी और धूर्त पंडित का रोल किया जो काले कपड़ों में रहता था।

बातचीत में अनूप अरोड़ा ने बताया कि मैंने तीनों सुपरस्टार मनोज तिवारी, रवि किशन और निरहुआ की फिल्म गंगा जमुना सरस्वती में पाखी हेगड़े के पिता का रोल किया जो ग्रे शेड वाला था। बेताब में मेरा गूंगे का रोल आज भी यूट्यूब पर खूब देखा जाता है। खेसारीलाल की हीरो नं. 1 में मैंने मुनीम का रोल किया जो नकारात्मक तो था लेकिन हंसाता भी था। बंधन फिल्म में मेरा चरित्र लकवाग्रस्त था, इस वजह से पूरे सीन में मुझे मुंह टेढ़ा करके संवाद बोलने पड़े, यह रोल मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था। निरहुआ की फिल्म बेटा का मेरा रोल मेरे दिल के सबसे करीब है और लोगों ने उसे खूब पसंद किया। अनूप अरोड़ा भोजपुरी में खलनायकों को मिल रहे ट्रीटमेंट से संतुष्ट महसूस करते हैं

Brijesh Tripathi
उल्लेखनीय है कि बृजेश त्रिपाठी ने अपना फिल्मी सफर 11 सितंबर 1978 को मिथुन चक्रवर्ती स्टारर हिंदी फिल्म टैक्सी चोर से शुरू किया था। तब से लेकर अब तक लगभग 225 हिंदी फिल्म में छोटे बड़े रोल में तथा लगभग 250 भोजपुरी फिल्म में अभिनय क्र चुके हैं। इसके अलावा दो मराठी फिल्म चार दिवस सासुचे तथा डोकला ताप नाही में शानदार अभिनय किया है।

Dev Singh
2010 के बाद के भोजपुरी सिनेमा ने कई नए गायक-अभिनेताओं का स्वागत किया वहीं कुछ नए विलेन और चरित्र अभिनेता भी आये।  उनमें देव सिंह का नाम काफी चर्चा में है। बलिया के सुवरहां के रहने वाले देव सिंह मुंबई में फ़िल्मी करियर बनाने के जुगत में लगे थे लेकिन उन्हें हिंदी फिल्मों में जब कुछ खासा हाथ नहीं लगा तो वह भोजपुरी सिनेमा में आ गए। उनको दीवाना फिल्म में एक छोटा सा रोल मिला फिर उसके बाद उनकी फिल्म सैयां बकलोल में उनका प्रदर्शन देख प्रसिद्ध विलेन अवधेश मिश्र ने उनका कई जगह ज़िक्र किया उन्हें मैं सेहरा बांध के आऊंगा के लिए बेस्ट क्रिटिक अवार्ड का मिलना एक सुखद घटना है।

ऐसा देव सिंह बताते हैं और इसी फिल्म से उनके करियर को रफ़्तार मिली। बकौल देव, मेरी कुछ अपने पसंदीदा फिल्मों में पहला नाम तो इसी फिल्म का जिसके लिए मुझे अवार्ड मिला। उसके अलावा डमरू का मेरा किरदार, राजा जानी में भी मेरा नेगटिव रोल लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया। मेरी 2019 में ही रिलीज़ हुई फिल्म स्पेशल एनकाउंटर में मेरा किरदार बाबा राघवेन्द्र एक अद्भुत रोल बन पड़ा है। जिसने भी यह फिल्म देखी है उन्होंने मेरे काम की काफी तारीफ की है। छलिया फिल्म में भी उनका रोल खलनायक का है।

Baleshwar Singh
उम्दा विलेन हैं बालेश्वर सिंह। वह ज़्यादातर मुख्य विलेन के भाई या सहयोगी की भूमिका में दिखे हैं लेकिन जहां उनको स्पेस और मुख्य-खलनायक की भूमिका मिली है वहां उन्होंने अपना दम दिखाया है। बकौल बालेश्वर, फिल्म बहुरानी का उनका किरदार ददन यादव उनका पसंदीदा किरदार है। उन्होंने विराज भट्ट की गर्दा फिल्म में एक जिद्दी आशिक का रोल किया है जो उस हीरोइन को पागलों की तरह प्यार करता है जो हीरो की प्रेमिका है।  उनका खेसारी की फिल्म मुक़द्दर का रोल और खुद्दार का विलेन की भूमिका एवं बलमा डेरिंगबाज़ में हीरोइन के क्रूर पिता का रोल दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया गया है और लोग उनको इन किरदारों के नाम से उनको याद करते हैं।

Umesh Singh
खलनायकों की लिस्ट में अगला नाम उमेश सिंह का है। उमेश निजी ज़िन्दगी में काफी ज़हीन और सरल व्यक्तित्व वाले हैं लेकिन वह स्क्रीन पर उतना ही खूंखार और क्रूर दिखते हैं।  उन्होंने फिल्मों में मुख्य खलनायक की भूमिकाएं भी की हैं लेकिन उनको प्रसिद्धि अन्य विलेन के जैसे नहीं मिली है। वह इस बात पर भी बड़ी सरलता से जवाब देते हैं कि मैं खुद को एक छोटा कलाकार समझता हूं जो रोज़ बड़ा बनने की राह पर एक-एक डेग बढ़ रहा है। उमेश अपने क्राफ्ट का दमखम कैमरा के सामने बखूबी दिखाते हैं और उनकी बेहतरीन फिल्मों में प्रधान जी, पवन सिंह की फिल्म ग़दर, खेसारी लाल यादव की हीरो नम्बर वन, पवन सिंह की सत्या और जिद्दी आशिक हैं। 2019 की फिल्म क्रेक फाइटर में आमिर खान की फिल्म ग़जनी के विलेन प्रदीप रावत के साथ उनकी जोड़ी दर्शकों को खूब पसंद आई जिसमें वह अंग-व्यापार करने वाले डॉक्टर के रोल में थे।

Raju Singh Mahi
सोशल मीडिया पर इनदिनों एक भोजपुरी एक्टर की खबर वायरल हो रही है। खबर है कि ये भोजपुरी एक्टर छह लाख का मोबाइल रखता है और उनके पास कई लग्जरी गाड़ियां भी है। शौक से एक्टिंग करने वाला ये एक्टर बिजनेसमैन भी हैं। बता दें कि इस मोबाइल के पीछे की कहानी ये है कि ये फोन उन्हें एक फिल्म साइन करने के एवज में गिफ्ट मिला था।

भोजपुरिया सुल्तान बुलाते हैं साथी एक्टर्स
- भोजपुरी के इस लग्जरी लाइफ जीने वाले एक्टर का नाम राजू सिंह माही है।
- राजू को भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में साथी एक्टर्स भोजपुरिया सुल्तान भी बुलाते हैं।
- खबरों की मानें तो राजू के पास वर्टू कंपनी का मोबाइल है जिसकी कीमत करीब छह लाख रुपए है।

क्या है मोबाइल की खासियत
- इस मोबाइल की खासियत है कि ये ब्रिटेन की रिटेल कंपनी है। इस कंपनी को 1998 में मोबाइल मैन्युफैक्चरर नोकिया ने स्थापित किया था।
- 2012 अक्टूबर में नोकिया ने वर्टू को प्राइवेट इक्विटी ग्रुप ईक्यूटी वीआई को बेच दिया लेकिन 10 प्रतिशत शेयर अपने पास ही रखे।
- बताया जाता है कि वर्तु कंपनी के इस मोबाइल में असली सोने का पैनल लगा हुआ है।

इन फिल्मों में कर चुके हैं काम

- राजू सिंह माही भोजपुरी फिल्म 'तू ही तो मेरी जान है', 'राधा-2' और 'गदर' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया हैं।
- जानकारी के मुताबिक, उनके पास एक लाइसेंसी पिस्टल भी है। उन्हें गाड़ियों का भी क्रेज है। एक ही नंबर वाली कई गाड़ियां उनके पास है।
- राजू की इन सभी गाड़ियों नंबर 1001 से शुरू होता है।
- मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले राजू सिंह एक्टर के साथ-साथ बिजनेसमैन भी हैं।

Vipin Singh
पटना के रहने वाले विपिन सिंह ने भोजपुरी में रविकिशन की फिल्म ‘बिहारी माफिया’ से शुरुआत की। उसके बाद उनको कई फिल्में ऑफर होने लगीं।

बकौल विपिन सिंह, मसीहा बाबु में नेगेटिव दरोगा का रोल उनका पसंदीदा है। उन्होंने पवन सिंह की फिल्म सत्या में लल्लन तिवारी का रोल किया जो एक दबंग शख्सियत था और उसका पूरे बिहार में एक साम्राज्य था। पवन सिंह की ही फिल्म वान्टेड में वह मुस्लिम नेता की भूमिका में थे जो नकारात्मक चरित्र का था। कुछ ऐसा ही रोल इंडियन फिल्म में भी उन्होंने निभाई जिसके अधिकतर संवाद हिंदी में थे। ये सारे किरदार विपिन सिंह के उल्लेखनीय किरदारों में से हैं। अबतक उन्होंने भोजपुरी में लगभग 138 फ़िल्में कर ली हैं।

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